मानवेन्द्र नाथ पंकज
हंदवाड़ा में वीरगति प्राप्त सैनिकों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए सेना ने हिजबुल के दुर्दान्त आतंकी रियाज नायकू को घेरकर बेगपोरा में उसके घर के निकट ही मार गिराया। साथ ही सीमा पर पाक गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब देते हुए की गई कार्रवाई में पाक चौकी कोभ्भारी नुकसान पहुंचाया, अनेक पाक सैनिकों के मारे जाने की खबर है। हिजबुल आतंकी के मारे जाने पर मीडिया, सोशल मीडिया पर एक वर्ग द्वारा उसका महिमा मण्डन किया जा रहा है। हंदवाड़ा में सैनिकों के बलिदान की सूचना पर पाक व अपने देश के एक वर्ग द्वारा हर्षोन्माद व्यक्त करते हुए सैनिकों के लिए अपमानजनक शब्दावली का प्रयोग किया जा रहा है। उदाहरण के लिए एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक ने सैनिकों की शहादत को हत्या व आतंकियों की मौत को नागरिकों की हत्या कहा। हिजबुल आतंकी की मौत के बाद जामिया मिलिया के छात्र शादाब नजर ने अल जजीरा की रिपोर्ट शेयर करते हुए नायकू के कथन का भी उल्लेख किया है जिसमें भारत विरोधी दुष्प्रचार है।
इसी प्रकार जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा महूर परवेज ने 6 मई को हंदवाड़ा से 5 जवानों के बलिदान की खबर मिलने के बाद सोशल, मीडिया-इन्स्टाग्राम पर इन बलिदानी 5 जवानों को युद्ध अपराधी बताया। उसने सोशल मीडिया पर देश की सुरक्षा में तैनात जवानों को बलिदान के बाद मिल रहे सम्मान पर आश्चर्य जताते हुए प्रश्न किया कि लोग युद्ध अपराधियों का महिमा मण्डन क्यों कर रहे हैं?
प्रश्न यह है किभ्भारत में मौजूद प्रभावी वर्ग व पाक की भाषा एक जैसी क्यों है? पाक के निर्वासित नेता आरिफ आज्जिकिया ने रहस्योद्घाटन किया है कि पाक ने भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए बड़ी योजना पर काम प्रारंभ कर दिया है। उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में संडे गार्जियन की 10 मार्च की रिपोर्ट के साथ ही पाक की एक गोपनीय रिपोर्ट का उल्लेख किया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान की सरकार भारत में नरेन्द्र मोदी तथा हिन्दू विरोधी राजनीतिक ग्रुपों, पत्रकारों, सिविल सोसायटी का समर्थन करेगी। आरिफ का मानना है कि इस रिपोर्ट के बाद भारत में इन सभी वर्गों की गतिविधियों, बयानों व धरातल पर किए गए आन्दोलनों की समीक्षा करेंगे तो पाएंगे कि जैसा पाक चाह रहा है, वैसा ही हो रहा है।
थोड़ा पीछे चलें, कोरोना वायरस महामारी प्रारंभ होने से पूर्व ही समूचे देश का परिदृश्य याद करना पड़ेगा। समूचे भारत को सीएए विरोधी आन्दोलन के चलते शाहीन बाग बनाने की धमकियां दी जा रही थीं। गांधी-अंबेडकर के चित्र लगाकर, संविधान की कसमें खाकर ‘भ्भारत तेरे टुकड़े होंगे हजारÓ का राग अलापा जा रहा था। इसमें विदेशी मीडिया की भी खतरनाक भ्भूमिका रही, जो आज भी जारी है।
घटनाक्रम बताते हैं कि भारत के दुश्मन सीमा पर ही नहीं बल्कि देश के भीतर भी हैं। ये लोग पहले सुषुप्तभ्भूमिका में थे, अब नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में ख्भुलकर अपना खेल खेल रहे हैं। धर्म-मजहब की बात परे रखी जाय तो पता चलता है कि जेहादी-नक्सली-कम्युनिस्ट, मिशनरीज का प्रभावी गु्रप नमो व हिन्दू विरोध में राष्ट्र की सम्प्रभुता को ही खण्ड-खण्ड करने पर आमादा दिखता है।
वीर जवानों की शहादत पर उनके परिजनों का धैर्य वन्दनीय है। राष्ट्र की सुरक्षा में लगे जवानों का अपमान कब तक सहा जाएगा? पाक को बार-बार सबक सिखाने की बात की जाती है; परन्तु मुठभेड़ के समय व बाद में सेना-अद्र्धसैन्य बलों पर पथराव, आतंकियों को शरण देने वालों पर रहम, आतंकियों का निर्बाध महिमा मण्डन अक्षम्य अपराध है। पाक से पहले उसके एजेण्डे पर काम करने वालों को मासूम कहने की प्रवृत्ति का दमन जरूरी है। आवश्यकता है कि पाक की सप्लाई लाइन के रूप में आचरण करने वालों की नागरिकता रद्द हो, उन्हें वोटरलिस्ट से बाहर किया जाए। हिजबुल आतंकी कोई अचानक नहीं मारा गया है, इसके पीछे सेना, अद्र्धसैन्य बल, स्थानीय पुलिस लंबे समय से लगी हुई थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल की रणनीति को परिणामपरक बनाने का दायित्व संयुक्त अभियान दल बेहतरीन ढंग से निभा रहे हैं। बताया जाता है कि नायकू के साथ ही मारे गए दूसरे आतंकी की फोन काल से पता चला है कि दूसरे आतंकी गुट की वजह से यह आतंकी अभियान दल के हत्थे चढ़ा। अभियान दल ने आतंकी को उसकी मांद से निकलने की प्रतीक्षा करने की बजाय बम विस्फोट से उड़ा दिया। यह सराहनीय है। ऐसे ही मुठभेड़ के समय आतंकी को हथियार चलाने का अवसर देने की बजाय बम से उड़ाना श्रेयस्कर होगा।
Courtesy: Pathick Sandesh